अषोक वाजपेयी हिन्दी कवि-आलोचक, कला-मर्मज्ञ, अनुवादक, सम्पादक तथा भारत की एक केन्द्रीय सांस्कृतिक उपस्थिति हैं। कविता की पन्द्रह पुस्तकों, आलोचना की सात पुस्तकों और अंग्रेज़ी में कला पर तीन पुस्तकों सहित उन्हें संस्कृति के विषिष्ट प्रसारक और नवोन्मेषी संस्था निर्माता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने भारतीय और विदेषी संस्कृतियों के मध्य परस्पर जागरूकता और आपसी संवाद को बढ़ाने के लिए अथक प्रयास किया है। कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं के सम्पादक के रूप में उन्होंने कविता और आलोचना में युवा प्रतिभाओं और समकालीन तथा षास्त्रीय कलाओं की आलोचनात्मक जागरूकता का प्रसार करने के लिए बहुमूल्य योगदान दिया है। वे साहित्य, संगीत, नृत्य, नाटक, दृष्यकलाओं, लोक एवं जनजातीय कलाओं, सिनेमा आदि से सम्बन्धित हज़ारों कार्यक्रमों के आयोजक रहे हैं। उन्हें साहित्य अकादेमी पुरस्कार, दयावती मोदी कवि षेखर सम्मान, भारत-भारती सम्मान के अलावा पोलैण्ड गणराज्य के राष्ट्रपति द्वारा और फ्रांसीसी सरकार द्वारा अपने उच्च सिविल सम्मानों से विभूषित किया गया है। उनके काव्य संकलनों के अनुवाद अनेक भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रेज़ी, पोलिष एवं फ्रेंच में भी प्रकाषित हैं। भारत के एक विषिष्ट बुद्धिजीवी श्री वाजपेयी एक सृजनात्मक विष्व पर्यटक हैं, जिन्होंने सम्मेलनों में भाग लेने, व्याख्यान देने के क्रम में कई बार यूरोप आदि का भ्रमण किया है। उन्होंने पोलैण्ड के चार प्रमुख कवियों--चेस्लाव मिवोष, ज़्बीग्न्येव हेर्बेर्त और तादेऊष रूजे़विच के अलावा अर्जेन्टीनी कवि अन्तोनियो पोर्किया की कृतियों का हिन्दी में अनुवाद किया है। श्री वाजपेयी भारतीय प्रषासनिक सेवा और महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विष्वविद्यालय के संस्थापक-कुलपति के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद केन्द्रीय ललित कला अकादेमी, नयी दिल्ली के अध्यक्ष पद पर कार्यरत रहे और सम्प्रति रज़ा फाउण्डेषन के कार्यकारी न्यासी, एकत्र संस्था, नटरंग प्रतिष्ठान एवं कोपल आर्ट के अध्यक्ष एवं संस्कृति प्रतिष्ठान, जगदीष स्वामीनाथन एवं विमला देवी फाउण्डेषन के न्यासी हैं और दिल्ली में रहते हैं।