शिवरतन थानवी। कभी अंग्रेजी शिक्षण में दीक्षित ,मगर बाद में दीक्षा- परी शिक्षा की रुढि पर ही सवाल उठाने वाले के रूप में जाने गए ।लंबे अरसे शिक्षा की दो पत्रिकाओं -शिविरा पत्रिका और नया शिक्षक/ टीचर टुडे का संपादन किया । सृजनरत शिक्षकों की रचनाओं के सामूहिक प्रकाशन का सिलसिला भी चलाया । गिजूभाई और दयाल जी मास्साब से लेकर इवान इलिच ,जॉन होल्ट और पावलो फ्रेरे आदि प्रसिद्ध शिक्षाविदों के शैक्षिक विचारों पर चर्चा छेड़ी ,बहसे बुलाई पठन -पाढन और स्वाध्याय के हिमायती ।देश में शिक्षा का साहित्य से रिश्ता जोड़ने वाले में अगुआ ।पढ़ते ज्यादा ,लिखते कम है ।'आज की शिक्षा कल के सवाल ',कोबायाशीकी कहानी', सामाजिक विवेक की शिक्षा 'और 'भारत में सुकरात 'चर्चित प्रकाशन राजस्थानी गुजराती और अंग्रेजी से हिंदी में छिटपुट अनुवाद भी किए। साहित्य और संगीत के रसिक । राजस्थान के फलोदी (जोधपुर )कस्बे में रहते हैं लिखने पढ़ने का सिलसिला बंथस्तूर दूर है।